نشان معرفت قلب حزين است |
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دل
پاكان به درد و غم قرين است
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درخت معرفت بار آورد درد |
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سرشك
سرخ بارد بر رخ زرد |
ز هر غم خاطرى باشد پريشان |
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غم
يار و غم جسم و غم جان
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چو مشتاقى ز قيد جسم و جان است |
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به
چهره اشك خونين ز اشتياق است |
غم آن آتش بود كز شعله طور |
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دل
غمديدگان را كرد پر نور |
غم آن نور است كز طور تجلى |
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دل
بشكسته را بخشد تسلى
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غم دين شادى هر دو جهانست |
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غم
دنياى دون خوردن ، زيان است
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چو خوش گفت : آن حكيم ذوق پرور |
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غم
دين خور مخور اندوه ديگر |
غم دين خور كه دنيا غم ندارد |
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عروس
يك شبه ماتم ندارد |
عروسى زشت و بى مهر و وفا هم |
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ندارند از فراقش عاقلان غم |